आत्मा की एकता
वैदिक धर्म में आत्मा की एकता पर सबसे अधिक जोर दिया गया है। जो आदमी इस तत्व को समझ लेगा, वह किससे प्रेम नहीं करेगा? जो आदमी यह समझ जाएगा कि 'घट-घट में तोरा साँई रमत है!' वह किस पर नाराज होगा? किसे मारेगा? किसे पीटेगा? किसे सताएगा? किसे गाली देगा? किसके साथ बुरा व्यवहार करेगा?
यस्मिन्सर्वाणि भूतानि आत्मैवाभूद्विजानतः ।
तत्र को मोहः कः शोक एकत्वमनुपश्यतः ॥
जो आदमी सब प्राणियों में एक ही आत्मा को देखता है, उसके लिए किसका मोह, किसका शोक?
वैदिक धर्म का मूल तत्व यही है। इस सारे जगत में ईश्वर ही सर्वत्र व्याप्त है। उसी को पाने के लिए, उसी को समझने के लिए हमें मनुष्य का यह जीवन मिला है। उसे पाने का जो रास्ता है, उसका नाम है धर्म।
वैदिक धर्म में आत्मा की एकता पर सबसे अधिक जोर दिया गया है। जो आदमी इस तत्व को समझ लेगा, वह किससे प्रेम नहीं करेगा? जो आदमी यह समझ जाएगा कि 'घट-घट में तोरा साँई रमत है!' वह किस पर नाराज होगा? किसे मारेगा? किसे पीटेगा? किसे सताएगा? किसे गाली देगा? किसके साथ बुरा व्यवहार करेगा?
यस्मिन्सर्वाणि भूतानि आत्मैवाभूद्विजानतः ।
तत्र को मोहः कः शोक एकत्वमनुपश्यतः ॥
जो आदमी सब प्राणियों में एक ही आत्मा को देखता है, उसके लिए किसका मोह, किसका शोक?
वैदिक धर्म का मूल तत्व यही है। इस सारे जगत में ईश्वर ही सर्वत्र व्याप्त है। उसी को पाने के लिए, उसी को समझने के लिए हमें मनुष्य का यह जीवन मिला है। उसे पाने का जो रास्ता है, उसका नाम है धर्म।
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